यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

एक बहुत क्षुद्र वस्तु जिसे आप रोज़ देखते हैं और जो बेमतलब है, किसी एक ख़ास क्षण में कुछ और उद्घाटित कर सकती है। कविता में एक चिड़िया कुछ और उद्घाटित कर सकती है और इसलिए वहाँ वह रोज़मर्रा की चिड़िया नहीं बल्कि प्रभु-प्रकाश है। अगर आपकी कल्पना उसे थाम लेती है तो आकस्मिक रहस्योद्घाटन के क्षण में एक काँच का टुकड़ा भी बहुत अर्थपूर्ण हो जा सकता है।
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