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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

कन्नड़ भाषा और संस्कृति को चाहने वाले लेखकों की तरह मुझे भी अन्य भाषा की निंदा-तिरस्कार करना पसंद नहीं है।