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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

एक अतिवादी वर्ग ऐसा भी है जो सरकार से किसी संसाधन की भी अपेक्षा नहीं करता—संस्कृति के क्षेत्र को पूरी तरह सत्ता-निरपेक्ष बनाने के पक्ष में है।