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श्री अरविंद के उद्धरण

धन एक विश्वजनीन शक्ति का स्थूल चिह्न है। यह शक्ति भूलोक में प्रकट होकर प्राण और जड़ के क्षेत्रों में कार्य करती है। बाह्य जीवन की परिपूर्णता के लिए इसका होना अनिवार्य है।