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वेदव्यास के उद्धरण

दैव और पुरुषार्थ दोनों एक दूसरे के सहारे रहते हैं, परंतु उदार विचार वाले पुरुष सर्वदा शुभ कर्म करते हैं और नपुंसक दैव के भरोसे पड़े रहते हैं।