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धर्मवीर भारती के उद्धरण

चारों तरफ़ उपवासों का शोर है, उपवास, उसके विरुद्ध उपवास, विरुद्ध उपवास के विरुद्ध उपवास और विरुद्ध के, विरुद्ध के विरुद्ध उपवास।