बच्चा एक अनकही कहानी होता है, उसकी कहानी हमारे दिए शब्दों में नहीं कही जा सकती। उसे अपने शब्द ढूँढ़ने का समय और स्थान चाहिए, ढूँढ़ने के लिए ज़रूरी आज़ादी और फ़ुर्सत चाहिए। हम इनमें से कोई शर्त पूरी नहीं करते। हम उन्हें अपने उपदेश सुनने से फ़ुर्सत नहीं देते, उन्हें सुनने की फ़ुर्सत हमें हो–यह संभव ही नहीं।