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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

आत्मलाभ ही परम लाभ है- ऐसा शास्त्र का सिद्धांत है। अन्य पदार्थों का लाभ तो अलाभ ही है। इसलिए अनात्मबुद्धि का त्याग करना चाहिए।