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जवाहरलाल नेहरू के उद्धरण

स्पष्ट रूप से इंसान के बाहरी और आंतरिक जीवन में जब तक तारतम्यता नहीं रहेगी, तब तक अधिकतर समय इंसान रणक्षेत्र बना रहता है।