आशा मद है, निराशा मद का उतार। नशे में हम मैदान की तरफ़ दौड़ते हैं, सचेत होकर हम घर में विश्राम करते हैं। आशा जड़ की ओर ले जाती है, निराशा चैतन्य की ओर। आशा आँखें बंद कर देती है, निराशा आँखें खोल देती है। आशा सुलाने वाली थपकी है, निराशा जगाने वाला चाबुक।