Font by Mehr Nastaliq Web

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

अपनी बुराई, मूर्खता, तुच्छता इत्यादि पर एकांत अनुभव करने से वृत्तियों में जो शैथिल्य आता है, उसे ग्लानि कहते हैं। उसे अधिकतर उन लोगों को भोगना पड़ता है। जिनका अन्तःकरण सत्त्व-प्रधान होता है, जिनके संस्कार सात्त्विक होते हैं जिनके भाव कोमन और उदार होते हैं।