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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

अपने तेज़ की अग्नि में जो सब कुछ भस्म कर सकता हो, उस दृढ़ता का, आकाश के नक्षत्र कुछ बना-बिगाड़ नहीं सकते।