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कृष्ण कुमार के उद्धरण

अनुपम मिश्र सरीखा तरल, प्रांजल गद्य अभी बीस साल और लिखा जाए तो लोग समझ सकेंगे कि पर्यावरण संरक्षण जैसा जुमला विकास की लीला का ही अंग है—अवरोध नहीं।