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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

अच्छी और सार्थक बहस की गुंजाईश बनी रहे; यह किसी भी समाज की जीवंतता की पहचान है, इसके विपरीत निरर्थक बहसों का जारी रहना उसकी रूग्णता का द्योतक हो सकता है।