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रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

आत्महत्या केवल मनुष्य करता है। पशु केवल उतने कर्म करते हैं, जितने से उनकी जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाए; किंतु मनुष्य की मनुष्यता तो तब तक आरम्भ ही नहीं होती हैं, जब तक वह केवल अपनी जैविक आवश्यकता की पूर्ति में संलग्न हैं।