उद्धरण
उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
द्विवेदीयुगीन निबंधकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन और आलोचना में भी योगदान।
पब्लिलियस साइरस
प्रतापनारायण मिश्र
भारतेंदु युग के महत्त्वपूर्ण कवि, गद्यकार और संपादक। 'ब्राह्मण' पत्रिका से चर्चित।
पर्सी बिश शेली
अँग्रेज़ी रोमांटिक काव्यधारा के सुप्रसिद्ध कवि। स्वतंत्र विचारधारा, विद्रोही स्वभाव, मानवीय करुणा और कल्पनाशील काव्यशक्ति के लिए चिह्नित।
प्रियंवदा देवी
पाब्लो नेरूदा
20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।