मेरा एक अनुभव
जब मैं ग्यारह साल की थी, मिडिल की परीक्षा के बाद मेरा पढ़ना ख़त्म हो गया। पिताजी की राय नहीं पड़ी कि वे मुझे और पढ़ावें। मेरे बड़े भाई का इरादा बहुत था कि वे मुझे और शिक्षा दिलावें; पर पिताजी पुराने विचारों के आदमी थे। वे समझते कि लड़की सयानी हो चली