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सर जॉन डेनहम

1615 - 1669 | डबलिन

सर जॉन डेनहम के उद्धरण

महत्त्वाकांक्षा प्रेम की तरह होती है—विलंबों और प्रतिद्वंद्वियों दोनों के प्रति अधीर।

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