अरुंधती
उसका साथ यद्यपि तीन ही वर्ष रहा, पर उस संक्षिप्त अवधि में भी हम दोनों अटूट मैत्री की डोर में बँध गए। उन दिनों पूरा आश्रम ही संगीतमय था। कभी 'चित्रांगदा' का पूर्वाभ्यास, कभी 'माचेर-खेला', कभी 'श्यामा' और कभी 'ताशेर देश'। उन दिनों आश्रम में सुरीले