रॉबर्ट फ्रॉस्ट की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 1

यदि न तो तुम्हें शत्रु हानि पहुँचा सकते हैं और न प्रिय मित्र, यदि सभी मनुष्यों का तुम्हारी दृष्टि में महत्त्व है परंतु किसी का भी अधिक नहीं, यदि तुम क्षमा रहित मिनट के साठ सेकंडों को भली प्रकार चली दूर के अनुरूप भर सकते हो, तो यह पृथ्वी और इसकी प्रत्येक वस्तु तुम्हारी ही है और मेरे पुत्र! इससे भी बड़ी यह है कि तब तुम सच्चे मनुष्य बन जाओगे।