रामप्रसाद सेन के उद्धरण

आडंबर से पूजा करने पर मन में अहंकार पैदा होता है। धातु, पत्थर, मिट्टी की मूरत से तुझे क्या काम? तू छिपकर पूजा कर कि किसी को कानों-कान ख़बर न हो और मनोमय प्रतिमा बनाकर हृदय के पद्मासन में स्थापित कर।
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हे तारा, तुमने बार-बार मुझे जो दुख दिया है और दे रही हो, वह ही तुम्हारी कृपा है।
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