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रजनी तिलक

1958 - 2018 | दिल्ली

सुपरिचित कवयित्री। दलित-संवेदना, संघर्ष और स्त्री-सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवयित्री। दलित-संवेदना, संघर्ष और स्त्री-सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

रजनी तिलक का परिचय

जन्म : 27/05/1958 | दिल्ली

निधन : 30/03/2018 | दिल्ली, दिल्ली

 रजनी तिलक का जन्म 27 मई 1958 को दिल्ली में एक दलित जाटव परिवार में हुआ था। पिता दर्जी का काम करते थे। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। उन्हें बचपन से ही कई संघर्षों का सामना करना पड़ा जिसका असर उनकी शिक्षा पर भी पड़ा। किसी प्रकार उच्च माध्यमिक पूरी कर आईटीआई में व्यावसायिक शिक्षा के लिए प्रवेश लिया। 
उनकी सामाजिक सक्रियता की शुरुआत यहीं से हुई जब लैंगिक भेदभाव के प्रश्न पर छात्राओं के आंदोलन का नेतृत्व किया। बाद में उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के एक बड़े आंदोलन का भी आयोजन किया। आगे वह दलित आंदोलन से संबद्ध हुईं और स्वयं समुदाय के अंदर की पितृसत्तात्मकता को चुनौती दी। मथुरा में एक सहकर्मी के बलात्कार के मुद्दे पर उन्होंने दिल्ली में एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था। भारतीय दलित पैंथर्स, फ़ेडरेशन फ़ॉर दलित फ्रीडम, वर्ल्ड डिग्निटी फ़ोरम, दलित लेखक संघ, दलित महिला आंदोलन, सेंटर फ़ॉर अल्टरनेटिव दलित मीडिया जैसे कई संगठनों से उनका जुड़ाव रहा। उन्होंने कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दलित और स्त्री प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। 
उनकी पहचान एक प्रतिबद्ध कवयित्री-लेखिका की भी रही है। उन्होंने ‘भारत की पहली शिक्षिका’ के रूप में सावित्री बाई फूले की जीवनी लिखी और ‘सावित्रीबाई फूले रचना समग्र’ का संपादन किया। ‘अपनी ज़मीं अपना आसमान’ उनकी आत्मकथा है जो चर्चित हुई है। उन्होंने एक कवयित्री के रूप में भी सबल संवाद किया है जहाँ उनके ‘पदचाप’ और ‘हवा से बेचैन युवतियाँ’ के रूप में दो काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं। उनका कहानी-संग्रह ‘बेस्ट ऑफ़ करवाचौथ’ शीर्षक से प्रकाशित है। तीन खंडों में प्रकाशित ‘समकालीन भारतीय दलित महिला लेखन’, ‘डा। अंबेडकर और स्त्री चिंतन के दस्तावेज़’ और ‘दलित स्त्री विमर्श एवं पत्रकारिता’ उनके संकलन-संपादन में प्रकाशित कुछ अन्य कृतियाँ हैं। उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग और दलित वीमन स्पीक आउट कांफ्रेंस द्वारा सम्मानित किया गया। 
30 मार्च 2018 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।

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