noImage

जुगलप्रिया

1871 - 1921 | फ़ैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश

रीतिकाल के अंतिम वर्षों में सक्रिय कवयित्री। भक्ति, नीति और शृंगार कविता के वर्ण्य-विषय।

रीतिकाल के अंतिम वर्षों में सक्रिय कवयित्री। भक्ति, नीति और शृंगार कविता के वर्ण्य-विषय।

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए