Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

जॉन मिल्टन

1608 - 1674

जॉन मिल्टन के उद्धरण

राजाओं और दंडाधिकारियों की शक्ति उसके अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है, जो जनता से व्युत्पन्न, रूपांतरित तथा अपने सार्वजनिक हित में उससे लेकर विश्वासपूर्वक उन्हें सौंप दी गई है, उस जनता से जिसमें शक्ति मूलतः सन्निहित है और लोगों के प्राकृतिक जन्मसिद्ध अधिकार का उलंघन किए बिना उनसे नहीं ली जा सकती।

जो केवल खड़े रहते हैं तथा प्रतीक्षा करते हैं, वे भी सेवा करते हैं।

सब विद्वत्ता व्वर्थ है और दर्शनशास्त्र मिथ्या है।

Recitation