वह और जगह
मुरारी क़सदन देर से लौटा।
वह समस्या जो किसी भारी और भद्दी शिला-जैसी थी, यूँ जिस-तिस प्रकार ठेल दी गई थी, पर वह नहीं चाहता था कि उसके बाद जो किया जाना था, उसे अंतिम रूप उसकी उपस्थिति में ही दिया जाए। दूसरों के लिए स्थिति उसके कारण असुविधाजनक हो गई है,