Chatursen Shastri's Photo'

चतुरसेन शास्त्री

1891 - 1960 | बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

समादृत उपन्यासकार और कथाकार। ऐतिहासिक प्रसंगों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

समादृत उपन्यासकार और कथाकार। ऐतिहासिक प्रसंगों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

चतुरसेन शास्त्री का परिचय

जन्म : 01/08/1891 | बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

निधन : 01/02/1960

आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त 1891 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले के चाँदोख ग्राम में हुआ था। बचपन में उनका नाम चतुर्भुज रखा गया। उनके पिता का नाम केवलराम वर्मा और माता का नाम नन्हीं देवी था। सिंकदराबाद से आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने जयपुर के संस्कृत कॉलेज से आयुर्वेद में आचार्य और संस्कृत में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने कार्य जीवन का आरंभ एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में किया था और कुछ समय एक धर्मार्थ औषधालय में 25 रुपए मासिक वेतन पर नौकरी भी की। बाद में उनकी नियुक्ति डी.ए.वी कॉलेजलाहौर में आयुर्वेद के प्राध्यापक के रूप में हो गई, लेकिन प्रबंधन से उनकी बन नहीं सकी और उन्होंने कुछ वर्षों बाद ही त्यागपत्र दे दिया। अब वह अजमेर चले गए जहाँ अपने श्वसुर के औषधालय में सहयोग करने लगे।

वह किशोरावस्था से ही लेखन करने लगे थे। वर्ष 1909 से 1948 के 40 वर्षों की अवधि में वह 84 छोटी-बड़ी पुस्तकें लिख चुके थे और पत्रिकाओं में सैकड़ों लेखों का प्रकाशन हो चुका था। इस अवधि में उनका निजी जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। एक के बाद एक तीन पत्नियों के असामयिक देहांत ने मन को आहत रखा था तो लेखन में यश पा सकने की पीड़ा से भी गुज़रते रहे थे। चौथे विवाह के बाद उनके जीवन में पुनः कुछ स्थिरता आई और उन्होंने अपनी कृति ‘वैशाली की नगरवधू’ लिखकर पूरी की। यह कृति उनके लिए स्थायी यश कारण बनी। इसके साथ ही उनके एक नए लेखक रूप का उभार हुआ और वह एक उपन्यासकार के रूप में समादृत हुए। ऐतिहासिक विषय-वस्तु के उनके उपन्यास अपनी श्रेणी में विशिष्ट स्थान रखते हैं।

उपन्यासों के अलावा उन्होंने विपुल मात्रा में कहानियाँ भी लिखी हैं, साथ ही गद्य-काव्य के अतिरिक्त धर्म, राजनीति, इतिहास, समाजशास्त्र, स्वास्थ्य और चिकित्सा जैसे विषयों पर विपुल लेखन किया है। उन्होंने आयुर्वेद पर लगभग एक दर्ज़न कृतियों की रचना की, जबकि नाटक, एकांकी, आत्मकथा जैसी विधाओं में भी योगदान किया।

प्रमुख कृतियाँ

उपन्यास : आत्मदाह, बहते आँसू, दो किनारे, नरमेध, अपराजिता, बगुला के पंख, मोती, पूर्णाहुति, रक्त की प्यास, वैशाली की नगरवधूसोमनाथ, आलमगीर, वयंरक्षामः, लाल पानी, सह्याद्रि की चट्टानें, हरण निमंत्रण, सोना और ख़ून (चार खंड)।

नाटक : राजसिंह, मेघनाथ, छत्रसाल, गांधारी, श्रीरामअमर राठौर, उत्सर्ग, क्षमा।

आत्मकथा : मेरी आत्मकहानी।

कहानी-संग्रह : रजकण, अक्षत।

निबंध-संग्रह : अंतस्तल, मेरी खाल की हाय, तरलाग्नि।

बाल साहित्य : महापुरुषों की झाँकियाँ, हमारा शहर।

एकांकी : राधाकृष्ण, पाँच एकांकी, प्रबुद्ध, सत्यव्रत हरिश्चंद्र, अष्ट मंगल।

अन्य : आरोग्य शास्त्र, अमीरों के रोग, छूत की बीमारियाँ, सुगम चिकित्सा, काम-कला के भेद, सत्याग्रह और असहयोग, गोलसभा, तरलाग्नि, गांधी की आँधी, मौत के पंजे में ज़िंदगी की कराह।

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