Font by Mehr Nastaliq Web

कैसो माई अचरच उपजै भारी

kaiso mai achrach upajai bhari

परमानंद दास

अन्य

अन्य

परमानंद दास

कैसो माई अचरच उपजै भारी

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    कैसो माई अचरच उपजै भारी।

    पर्वत लियो उठाय अकेलै सात बरस को बारौ॥

    सात द्यौस निसि इकटकही याने बाम पानि पर धार्यो।

    अति सुकुमार कुंवर नंद कैसे बोझ सहार्यो॥

    बरखे मेघ महाप्रलय के तिनते घोष उबार्यो।

    गोधन ग्वाल गोप सब राखे सुरपति गरब प्रहार्यो॥

    भगत हेत अवतार लेत प्रभु प्रकट होत जुग चार्यो।

    परमानंद प्रभु की बलि जैये जिन गोवर्धन धारयो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 87)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY