Font by Mehr Nastaliq Web

बहुत बेर के भूखे हो लाल

bahut ber ke bhukhe ho lal

परमानंद दास

परमानंद दास

बहुत बेर के भूखे हो लाल

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    बहुत बेर के भूखे हो लाल जेबों कछुइक लेहो बलैया।

    जो तू कह्यो माने हों अपनेहलधर जू की मैया॥

    दोरी जाय कंठ लपटाने तू कह मैया मेरो कनैया।

    गोद बैठ हरि जेंवन लागे परमानंद दास बलि जैया॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 67)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY