बनारस के रचनाकार

कुल: 18

धूमिल

1936 - 1975

‘अकविता’ आंदोलन के समय उभरे हिंदी के चर्चित कवि। मरणोपरांत साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत समालोचक, निबंधकार, उपन्यासकार और साहित्य-इतिहासकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास-सम्राट के रूप में समादृत। हिंदी साहित्य में आदर्शोन्मुख-यथार्थवाद के प्रणेता।

रामानंद के बारह शिष्यों में से एक। जाति-प्रथा के विरोधी। सैन समुदाय के आराध्य।

साहित्यसेवी, पत्रकार और स्वतंत्रता-सेनानी। ‘आज’ समाचार-पत्र के प्रकाशन और ‘काशी विद्यापीठ’ की स्थापना के लिए उल्लेखनीय।

रीतिग्रंथ रचना और प्रबंध रचना, दोनों में समान रूप से कुशल कवि और अनुवादक। प्रांजल और सुव्यवस्थित भाषा के लिए स्मरणीय।

'राम सतसई' के रचयिता। शृंगार की सरस उद्भावना और वाक् चातुर्य के कवि।

'भारतेंदु मंडल' के कवियों में से एक। कविता की भाषा और शिल्प रीतिकालीन। 'काशी कवितावर्धिनी सभा’ द्वारा 'सुकवि' की उपाधि से विभूषित।

बलवीर

1859 - 1906

भारतेंदु मंडल के कवियों में से एक। भारत जीवन प्रेस के संस्थापक। प्राचीन और लुप्तप्रायः पुस्तकों को पुनः प्रकाशित और संवर्द्धित करने के लिए स्मरणीय।

वास्तविक नाम गोपालचंद्र। आधुनिक साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र के पिता।

ब्रजभाषा के आधुनिक कवि। मर्यादित शृंगार के लिए ख्यात। उद्धव शतक कीर्ति का आधार ग्रंथ। 'जकी' उपनाम से उर्दू में भी शायरी की।

रीतिकालीन कवि। देवनदी गंगा की स्तुति में लिखित ग्रंथ 'गंगाभरण' से प्रसिद्ध।

रीतिकालीन कवि गोकुलनाथ के शिष्य और महाभारत के भाषा अनुवादक।

सुपरिचित कवि-आलोचक। ‘साखी’ पत्रिका के संपादक।

प्राचीन काव्य के ख्यातिप्राप्त टीकाकार और अलक्षित कवि।

सेवक

1815 - 1881

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

मूलतः गणितज्ञ और ज्योतिषाचार्य। हिंदी भाषा और नागरी लिपि के प्रबल पक्षधर। 'नागरी प्रचारिणी सभा' के सभापति भी रहे।

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए