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यादि हमका सतावै

yadi hamka satavai

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

यादि हमका सतावै

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

और अधिकजगजीवन मिश्र ‘जीवन’

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    हमका सतावै राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    चलइ पुरवइया तौ नींदउ आवै

    बैरिन जोन्हइया यह औरउ जरावै

    जस कौनउ लालचु दिखावै

    बलम राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    तोहरी सुरतिया बसी मन मोरे

    दिन भरि रहिया मा बइठउँ तोरे

    तुमहे देखाउ जउन आवै

    बलम राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    सबइ एक जइसे तौ हम कहिका टोकिबै

    लोगन की नजरे कहाँ लहि रोकिबै

    चुपके ते देवरा बुलावै

    बलम राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    हमइ देखि गाना सोहदवा जो गावइँ

    तुम घर नाई तौ सब अठिलावइँ

    पड़ोसियउ हइ आँखी चलावै

    बलम राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    तोहरे बिना हमका कछु नाहीं भावइ

    जब हौले-हौले अनिलवा जगावइ

    रहि-रहि के पल्लू हटावै

    बलम राति हमका सतावै

    जब जब तोहारि यादि आवै बलम राति हमका सतावै

    स्रोत :
    • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 37)
    • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
    • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
    • संस्करण : 2015

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