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कविताएँ

kavitaayen

अनुवाद : कुमकुम सिंह

फ़ाज़िल हुस्नू दालारजा

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और अधिकफ़ाज़िल हुस्नू दालारजा

     

    (1) अनुगूँज

    जब कोई कवि मरता है
    सबसे पहले
    इसे
    ईश्वर महसूस करता है।

     

    (2) अनुवादक 

    चिड़िया
    आवाज़ को प्यार में
    अनुवाद करती है
    सुबह होने तक।

     

    (3) उड़ान

    चिड़ियाँ हैं लाश
    उनके अंदर होती है धरती
    और बाहर आकाश।

     

    (4) सिरदर्द

    हम इसे सिरदर्द
    कहते हैं—
    मरी हुई चिड़ियों के
    पंखों की फड़फड़ाहट
    हमारे माथे पर
    चोट करती हैं।

     

    (5) निरंतरता

    जब तक शब्द मौजूद हैं
    मौत किसी को
    ख़त्म नहीं कर सकती
    हमारे हाथ
    शब्दों के हाथ में सुरक्षित रहते हैं
    हमारे पाँव
    शब्दों के पाँव में सुरक्षित रहे आते हैं।

                         
    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 169)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : फ़ाज़िल हुस्नू दालारजा
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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