वो चाहते हैं कि तुम डरो

wo chahte hain ki tum daro

सुषमा सिंह

सुषमा सिंह

वो चाहते हैं कि तुम डरो

सुषमा सिंह

और अधिकसुषमा सिंह

    सुनो स्त्री,

    वो चाहते हैं तुम स्त्री हो तो स्त्री जैसी दिखो

    थोड़ी डरी, थोड़ी सहमी, और थोड़ी घबराई-सी

    वो चाहते हैं तुम डरो!

    लेकिन, तुम हरगिज़ मत डरो

    ओढ़ लो आवरण निडरता का

    पर, मत करना प्रदर्शन अपने डर का

    सुनो स्त्री,

    वो चाहते हैं डरकर ढोती रहो

    उनके पुरुषत्व का भार

    इसके लिए बनाएँगे वो

    तुम्हारे स्त्रीत्व को ही हथियार

    पोंछ दो अपनी आत्मा से रिसते हुए

    रक्त का निशान

    उन्हें हरगिज़ मत बताओ

    क्या हुआ था जब तुम

    गुज़र रही थी कल अँधेरी गली से

    सुनो स्त्री,

    इसके लिए कष्ट सहो भरपूर

    पर कभी मत कहना डरी हुई हो तुम

    तुम ऐसा कर सकती हो

    स्रोत :
    • पुस्तक : बताओ मनु (पृष्ठ 49)
    • रचनाकार : सुषमा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्द युग्म
    • संस्करण : 2022

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