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आत्मकथा

aatmaktha

मुझे बाद में पता चला कि यह शुक्रवार था

जब मैं अपने ताबूत से,

अपनी माँ से

आज़ाद हुआ चीख़ता-चिल्लाता

चीड़-फाड़ कर।

अपने जन्म के धोके के बीच में पड़ा रहा

तेल और पानी और नमक में लिथड़ा हुआ

अपनी हड्डियों में मौत के प्रसव को महसूसता

इस शुक्रवार और स्याह शुक्रवार के बीच

अनन्त वर्षों तक वे मेरी बाँहों में

पिन चुभोते रहे

इसी दौरान मेरा बपतिस्मा कर दिया गया,

पावडर की मीठी ख़ुशबू ने थोड़ी-सी राहत दी।

मैंने हर रोज़ एक नया कफ़न पहना।

मैंने आसमान की चारों दिशाओं को देखा

मेरे शब्द हवा में तैरते हुए दूर निकल गए

मुझे कभी आग ने जलाया

सफलता ने

अब ज़्यादातार शामों को मेरा पेट पत्थर की तरह

सख़्त हो जाता है और अब फिर शुक्रवार

आता है मैं अपनी ही चीख़ सुनता हूँ।

मेरे जन्मदिन से शुरू होकर अनन्त वर्षों में से

गुज़रती हुई, सफ़ेद कफ़न में लिपटी

मेरी अपनी ही चीख़।

मुझे बेचैनी होती है, मैं सोचता हुआ नींद में डूब जाता हूँ

ओह, मैं अब इस सबसे बरी हूँ

अब कोई दूसरा नया युद्ध होगा

(मैं नहीं) कोई नया मरा हुआ कुत्ता चंद्रलोक पर

उतरेगा और अंतरिक्ष

उस कुत्ते को अपने भीतर दफ़ना कर

आतंकित हो उठेगा और चीख़ने लगेगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 132)
  • संपादक : वंशी माहेश्वरी
  • रचनाकार : हंस माग्नुस एन्त्सेंसबर्गर
  • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
  • संस्करण : 2020
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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