Font by Mehr Nastaliq Web

विचार

vichar

अलका सिन्हा

और अधिकअलका सिन्हा

    मेरे पास हैं विचार

    सचाई की आँच में पके

    संघर्ष के शब्दों में ढले।

    हो सकता है तुम इन्हें मिट्टी समझ कर

    मिट्टी में झटक दो

    मगर विचार होते हैं बीज की तरह

    वे ख़त्म नहीं होते मिट्टी में दबकर।

    बल्कि वे अंकुराते हैं

    फूटती हैं उनसे नई कोंपल

    और नए विचार।

    बदलते समय की मर्यादा में

    बदलता है उनका स्वरूप

    उनका लिबास

    और प्रस्तुति।

    धूल-मिट्टी में सने

    नए आकार

    नई संकल्पना में लहलहाती है

    विचारों की फसल।

    कोई ज़रूरी नहीं कि ये विचार

    सुकून भरी नींद

    और ताज़गी भरी सुबह का

    पैग़ाम लेकर आए।

    ज़रूरी यह भी नहीं

    कि राख़ की ढेर में दबे

    शोलों में हरकत हो

    और आग लग जाए।

    क्या पता यातना सहते

    ख़ामोश परिंदों को

    इनसे ज़ुबान मिल जाए

    या फिर

    यह सदियों से चली रही

    दरिंदगी को

    ख़ामोश कर जाए।

    ऐसा भी हो सकता है

    कि दंगा भड़कने से ठीक पहले

    ये विचार

    मन के किसी कोने में

    फर्स्ट एड बॉक्स की तरह खुल जाएँ

    करने लगें मरहम-पट्टी

    और दंगा भड़कने से बच जाए।

    हो तो ऐसा भी सकता है

    कि फ़साद को

    जड़ से ख़त्म करने के ख़्याल से

    यलग़ार कर बैठें

    ये मिट्टी सने विचार।

    आख़िर जुर्म सहना भी

    जुर्म करने से कहाँ कम है...

    तुम्हें भी तो आता होगा

    ऐसा ख़्याल

    जब तुम जल्दी से

    यूट्यूब पर कुछ देखने लग जाते होगे

    या फिर

    फेसबुक की आभासी दुनिया में

    सैर को निकल पड़ते होगे।

    सुनो, डरो नहीं इन विचारों से

    जो तुम्हें कर देते हैं लाजवाब

    जिनसे तुम्हारे भीतर कुछ दरकने लगता है

    ये किसी राजनीतिक पार्टी का बयान नहीं है

    कि जिसे कहने का मौका दिए बग़ैर खदेड़ दोगे

    तुम अपने चैनल से।

    ऑफ़ स्क्रीन होने के बाद भी ये

    मथते रहेंगे तुम्हारे भीतर

    मचाते रहेंगे हाहाकार...

    भले ही, तुम इन्हें मिट्टी समझ कर

    मिट्टी में दबा दो

    मगर वर्षों बाद भी

    खुदाई में निकलेंगे ये सफ़े, ये विचार

    लुप्त सभ्यताओं के अवशेष के साथ

    अपने समय का आईना बनकर।

    तब तो मानोगे

    कि झटक देने भर से

    विलुप्त नहीं होते

    सचाई की आंच में पके

    संघर्ष के शब्दों में ढले

    विचार।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अलका सिन्हा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY