उसका समय

uska samay

तरुण भटनागर

तरुण भटनागर

उसका समय

तरुण भटनागर

और अधिकतरुण भटनागर

    कितना स्पष्ट कहा था, उसने—

    कि, तुम मेरे,

    मेरा सब कुछ तुम्हारा।

    सिवाय—

    घड़ी के साथ वाली मेरी धड़कन,

    नाख़ूनों में मैल के साथ फँसे मेरे दिन,

    समय पर चिपका मेरा मासिक धर्म,

    दिनों का मेरा रुटीन,

    समय की मेरी यंत्रिकी...

    प्यार से अबूझ उसका समय,

    जो उसे थकाता नहीं।

    पर, गढ़ाता प्यार,

    एक दिन लाँघ गया,

    उसका ‘सिवाय समय’,

    और फिर वह समय भीजो उसका नहीं था,

    जहाँ तक वह ख़ुद भी नहीं थी।

    और फिर,

    अतीत का तोता रटंत वाक्य होकर,

    उसका समय,

    उसका नहीं रहा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : साक्षात्कार 289 (पृष्ठ 89)
    • संपादक : हरि भटनागर
    • रचनाकार : तरुण भटनागर

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