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तुम्हारे चिह्न कितने यकसाँ हैं

tumhare chihn kitne yaksan hain

अनुवाद : कमलेश

ओसिप मंदेलश्ताम

अन्य

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ओसिप मंदेलश्ताम

तुम्हारे चिह्न कितने यकसाँ हैं

ओसिप मंदेलश्ताम

और अधिकओसिप मंदेलश्ताम

    बहनों—वज़न और नाज़ुकपन—तुम्हारे चिह्न

    कितने यकसाँ हैं

    मधुमक्खियाँ और बर्रें चूसती हैं रस उदास

    गुलाब का

    एक आदमी मरता है, गर्म हुई रेती ठंडी पड़

    जाती है

    और काली पालकी पर लदा बीते दिन का

    सूरज चला जाता है

    आह! दुखी छत्ता और नाजुक पाश

    चट्टान उठाना ज़्यादा हल्का है तुम्हारा नाम

    दुहराने से

    मेरी सिर्फ़ एक ज़िम्मेवारी शेष है इस धरती

    पर—एक सुनहरी ज़िम्मेवारी

    —समय की दासता किस तरह निभाई जाए

    हवा पीता हूँ, काले जल की तरह अशांत

    समय हल से जुता चला जाता है, और गुलाब

    धरती था

    एक मंथर भँवर में फँसे उदास नाज़ुक गुलाब

    गुलाब—वज़न और नाज़ुकपन—गुँथे हुए दुहरी

    मालाओं में

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 287)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : ओसिप मंदेलश्ताम
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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