अपने ही बेटे को देखकर

apne hi bete ko dekhkar

कालीप्रसाद रिजाल

कालीप्रसाद रिजाल

अपने ही बेटे को देखकर

कालीप्रसाद रिजाल

और अधिककालीप्रसाद रिजाल

    प्रणय का गड्ढा उठा विक्षिप्त होकर

    इच्छाएँ जाग्रत हुईं दरिद्रता में विकराल बनकर

    सकपकाने लगे कीड़े

    मकड़ी की निस्सार काया में

    ख़ाली जाले का उत्तराधिकारी

    मरने के लिए पिचकते हुए

    एक बच्चा पहली बार रोया पछाड़ खाकर

    और रोता रहा...रोता रहा...रोता रहा

    कितना विवश और लाचार है बेटा मेरा

    कितना असहाय, निराधार है बेचारा

    कि उसे मेरा भेजा चाटना पड़ेगा

    और अपनी माँ का रक्त पीना पड़ेगा

    कंकाल पसलियों को लेकर

    दुर्बल गर्दन खड़ी करके, दुर्बल हाथ और पीले दाँत दिखाकर

    गड्ढे में धँसी आँखें और नीले ओंठ दिखाकर

    मेरा बेटा—दुर्गंध-चिथड़ा—बढ़ रहा है

    फरियाद-सा, किसी पनपते हुए पाप-सा; और,

    मैं देख रहा हूँ अपना ही अपराध

    लाचार अभियुक्त बनकर

    बाप तो बेटे को घर देता है, खेत-खलिहान

    बग़ीचे की जुगाड़ कर देता है,

    रुपए-पैसे, सोना-चाँदी जमा कर देता है

    आसामी और आमदनी छोड़ जाता है

    एक आधारपूर्ण वर्तमान देता है

    संभावनापूर्ण भविष्य देता है

    मैंने भी अगाध प्रेम दिया बेटे को

    कि अकेले में गला दबा दिया उसका

    मुझ ग़रीब ने भी बेटे को स्नेह दिया अगाध

    कि जनमते ही नाल समेत फेंका नहीं उसे ठंडी रेत में

    साहूकार जमा कर दिए हैं बहुत से मैंने उसे चूसने के लिए

    दासत्व उकेर दिए हैं मैंने उसके लिए

    भूखी, नंगी और रोती हुई

    घिसटती ज़िंदगी लाद दी है मैंने उस पर

    इल्म जानता है मेरा बेटा

    पढ़ा-लिखा है मेरा बेटा

    अकेला और अनाथ है मेरा बेटा

    चापलूसी जानता है मेरा बेटा

    अपने हिस्से में पाई उसने

    दरिद्रता, बेइज़्ज़ती और ग्लानि

    अपमान, अवहेलना सहनी पड़ेगी मेरे बेटे को

    ख़ुद को शाप देना, कोसना और थूकना पड़ेगा ख़ुद पर

    सदा दीन-हीन समझेगा वह अपने को

    वस्तुत: मेरा ही संस्करण है मेरा बेटा

    मेरी ही हठ और ज़िद है मेरा बेटा

    अपनी अतृप्त इच्छा, आशा और सपनों को लेकर

    मैं ही बार-बार रहा हूँ मात्र नाम बदलकर

    अपनी हँसी, ख़ुशी और संतोष खोजने के लिए

    बदलता हुआ बार-बार रहा हूँ मैं ही

    पर अंतर में करकती है यह स्मृति—

    मेरा बेटा भी छटपटाते हुए मर जाएगा मेरी जैसी

    अतृप्ति, निराशा और असफलताएँ ढोकर

    भूख, प्यास और आकांक्षाओं को लेकर

    सुनो सुनो, मेरा बेटा क्रांति कर सकेगा

    सुनो, सुनो, मेरा बेटा विद्रोह कर सकेगा

    मेरा बेटा भूखा है भूखा

    मेरा ग़रीब बेटा कुछ कर सकेगा

    मरेगा—मानो कि वह जनमा ही था

    बड़े आदमियों की औकात नहीं है उसमें

    योग्यता है,

    झूठी संभावनाओं का प्रमाण है मेरा बेटा

    झूठी आशाओं का उदाहरण भी

    वह नहीं जानता है अपराध करना भी

    सरकारी राशन से भी वंचित है बेचारा

    बेइमानों के साथ बेइमानी करने का

    ढंग भी नहीं है उसमें

    मेरा गूँगा, सीधा, 'गऊ' बेटा

    प्रमाण जुटाकर बयान देना भी नहीं जानता है

    मेरा बेटा, मार खाएगा सच्चाई के साथ

    और समाप्त होगा ईमानदारी के साथ

    वह मेरा बेटा है

    जो ख़ुद गोली खाकर नेता बनाता है दूसरों को

    जो बोझ ढो-ढोकर

    सगरमाथा चोटी का विजेता बनाता है दूसरों को

    वह मेरा ही बेटा है

    जिसके ख़ून से दूसरे का नाम लिखा जाता है

    जिसका पसीना दूसरे के काम का साक्ष्य बनता है

    जो लिखी गई कविताएँ और भावनाएँ हैं

    मेरे ही बेटे की हैं

    दिखे गए आविष्कार और विचार भी

    राख बना चुका हूँ मैं

    अपने बेटे की प्रतिभा और चमत्कारिता,

    असंभव बना चुका हूँ मैं

    अपने बेटे की संपूर्ण संभावनाएँ,

    वे चेहरे इतिहास में अमुद्रित

    मेरे ही बेटे के हैं

    मैं खड़ा हूँ यह बकने के लिए—

    कि पृथ्वी का भार है मेरा बेटा

    जो विकास और योजनाओं को उलझा रहा है

    जो हड्डी घिसकर पसीना बहा रहा है

    आधे पेट खा रहा है और समस्याएँ बढ़ा रहा है

    बुद्धिमानी तो इसको गर्भ में ही मारने में थी

    इसकी भ्रूणहत्या ही कानूनी ठहरती

    जीवन में प्रवेशपत्रहीन मेरा बेटा

    जीवन-भर सहमते हुए ज़िंदा रहेगा

    ओह! कितनी उपेक्षित इच्छाएँ और क्रंदन लिए

    निरंतर झुंझलाता ज़िंदा रहेगा!

    स्रोत :
    • पुस्तक : नेपाली कविताएँ (पृष्ठ 21)
    • संपादक : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    • रचनाकार : कालीप्रसाद रिजाल
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए