मैं नीम के पेड़ के नीचे खड़ा था
अचानक मेरा पेट हरा होने लगा
अपनी हरी-हरी पत्तियों के साथ
कुछ देर बाद बकरियों की एक प्रजाति आई
उसने मेरे पेट को नोच-नोचकर चबाया
और मेरे पेट को अपने पेट का हिस्सा बनाया
अब मेरा पेट उनके पेट के अंदर
अपनी संपूर्ण हरभराहट लिए डालियाँ फैलाए पसरा है
पसरी होती हैं जैसे
प्रेम की संपूर्ण विकृतियाँ
ज़िंदगी की सनकी झोंक में पटकने से
कुछ दिनों पश्चात आदमियों की किसी एक प्रजाति ने
उनके पेट को अपने पेट के अंदर पाल लिया
अब मेरा पेट बकरी के पेट के अंदर
बकरी का पेट आदमी के पेट के अंदर
तर्कशास्त्र के वृत्ताकार सिद्धांत के साथ समाहित है
कभी-कभी सोचता हूँ कि
यदि तर्कशास्त्र का यह सिद्धांत न होता
तो शायद दुनिया एक पेट होती
एक पेट उसके अंदर पेट फिर उसके अंदर पेट
अनगिनत पेटों को पालने वाले अनगिनत पेटों की अनगिनत परतें
और उनको भी पालने वाला कोई पेट
ऐसी स्थिति में जब तुम मुझसे कहोगे
कि यहाँ उपस्थित हर एक आदमी मेरा दुश्मन है
चलो लड़ो
मारो
मरो
काटो और कटो
तब मैं पूरी दुनिया के सामने चिल्लाकर कह सकता हूँ :
नहीं-नहीं ग़लत है यह
तुम इस तरह मुझे मजबूर नहीं कर सकते
मेरा उस आदमी से पेट का नाता है
मैं अपने पेट के नाते के साथ लड़ना नहीं
पेट भर भेटाना चाहता हूँ।
- रचनाकार : प्रतीक ओझा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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