पावसी : तामसी
(रस-चित्र)
हास्य—अति अन्धकार घन घोर घटा, कखनहु छिटकय बिजुरीक छटा
गम्भीर अभिनयक दृश्य हटा, हँसबैछ हँसैछ जेना विपटा
करुण—मेघक भरि आयल नयन-कोर, टप-टप अकाससँ खसय नोर
ठनकाक ठनक हिचकी अथोर, कनबैछ कनैछ निशीथ घोर
रौद्र—सन-सन पुरबा बहि रहल जोर, झाँटक डाँटब अछि विषम रोर
अपराध ककर, कंत दण्ड घोर, तमतम तमसायब तमक जोर
भयानक—वन-वन तरु-तरु कम्पित अधीर, थर-थर काँपय सरिताक नीर
बेहोस खसय तट माटि भीड़, डेरबैछ प्रकृति डेरबुक अधीर
वीभत्स—पिचपिच सब थल मन भिनकि रहल, चाली सहसह पद पिचकि रहल
गलि-पचि खढ़-पातो गन्हा रहल, बरिसात राति-दिन घिना रहल
वीर—रण-थल निशीथ, तम-दल विपक्ष, तड़ितक इजोत लड़इछ समक्ष
छन तिमिर जोर, खन बढ़ इजोर, जय-पराजयक नहि ओर-छोर
शृंगार—वन गुहमे बसि की रति रहस्य, चन्द्रिका चन्द्र सङ सोझरबैछ?
प्रेमक पवनक झोंके नभ-घन-खिड़की खुजि झाँकी झलकबैछ
अद्भुत—खन सूची-वेधित अन्धकार, जगमगा गेल झट तड़ित तार
खन घन-पट पसरल समटि देल, जादूगर पवन पसारि खेल
शान्त—विकसित होयत जखनहि प्रभात, सिहकय लागत मलयक बसात
तिमिरक परदाके चीरि उदित, सत रविक किरण अगजग द्योतित
- पुस्तक : रचना संचयन (पृष्ठ 42)
- संपादक : चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’/ शंकरदेव झा
- रचनाकार : सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
- प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
- संस्करण : 2012
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