सुनता हूँ तुम्हारा उच्चारण भास्वर
sunta hoon tumhara uchcharan bhasvar
ओसिप मंदेलश्ताम
Osip Mandelstam

सुनता हूँ तुम्हारा उच्चारण भास्वर
sunta hoon tumhara uchcharan bhasvar
Osip Mandelstam
ओसिप मंदेलश्ताम
और अधिकओसिप मंदेलश्ताम
(आन्ना अख़मातवा के लिए)
सुनता हूँ तुम्हारा उच्चारण भास्वर
लगे जैसे बाज कोई सीटी बजाता है
मुझे लगता है जीवंत तुम्हारा स्वर
बिजली चमके गगन में, मन मुस्कुराता है
क्या है! कहती हो तुम, मन बहक जाता है
का ए! मैं दोहराता हूँ, मन गुदगुदाता है
कहीं दूर सुन पड़ती है फिर आवाज़ तुम्हारी—
इस धरती से आख़िर कुछ मेरा भी नाता है
प्रेम के पंख होते हैं—लोगों का कहना है
पर सौ गुना ज़्यादा होते हैं मृत्यु के पंख
मन-आत्मा सदा करें संघर्ष इन दोनों से
और शब्द उड़े वहीं, जहाँ गूँजे आत्म-कण्ठ
रेशम-सी चिकनाई है मंद स्वरों में तेरे
और हवा की गूँज बहुत है फुसफुसाहट में
अंधों की तरह लेटे हैं हम अँधेरे में गहरे
पीकर अनिद्रा का काढ़ा इस लंबी रात में
- पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 298)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : ओसिप मंदेलश्ताम
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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