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स्तुति-गीत

stuti geet

चेस्लाव मीलोष

चेस्लाव मीलोष

स्तुति-गीत

चेस्लाव मीलोष

और अधिकचेस्लाव मीलोष

    कोई नहीं है तुम्हारे और मेरे बीच।

    कोई पौधा नहीं धरती की गहराइयों से रसायन लेता हुआ,

    कोई जानवर, कोई आदमी,

    ही हवा बादलों के बीच भटकती हुई।

    सबसे सुंदर शरीर काँच की तरह पारदर्शी होते हैं

    सबसे सशक्त शिखाएँ पानी की तरह, यात्रियों के थके पाँव धोती हुई।

    सबसे हरे वृक्ष सीसे की तरह पुष्पित होते हैं आधी रात को।

    प्रेम रेत है सूखे ओठों से निगली गई।

    घृणा एक खरा लोटा जो उसे दिया गया जो प्यासा है।

    बहती चलो, नदियो! अपने हाथ उठाए रखो

    राजधानियो! मैं, काली धरती का वफ़ादार बेटा, काली धरती लौटाऊँगा

    मानो कि जीवन का अस्तित्व नहीं था

    मानो कि गीत और शब्द रचे गए थे

    मेरे हृदय द्वारा नहीं, मेरे रक्त द्वारा नहीं,

    मेरे टिके रहने द्वारा नहीं,

    बल्कि एक अनजान आवाज़ द्वारा, अशरीरी,

    सिर्फ़ लहरों की धमनियाँ, सिर्फ़ हवाओं के वृंद, सिर्फ़ ऊँचे वृक्षों का

    शरदकालीन डोलना।

    कोई नहीं है तुम्हारे और मेरे बीच,

    और मुझे शक्ति दी गई थी।

    सफ़ेद पहाड़ धरती के मैदानों से पोषण पाते हैं,

    समुद्र की ओर वे जा रहे हैं, अपनी सैरगाहों की ओर,

    नए सूर्य झुकते हुए हर बार नए

    एक छोटी अँधेरी घाटी के ऊपर, जहाँ मैं पैदा हुआ।

    मेरे पास विवेक है, हुनर, आस्था,

    लेकिन मुझे शक्ति मिली है जो दुनिया को चीर डालती है।

    मैं, एक भारी लहर, उसके तटों पर अपने को चकनाचूर कर दूँगा

    और मैं विदा लूँगा, अनंत पानियों की जगह पर लौटूँगा,

    और एक युवा लहर अपने फेन से मेरे पाँव ढँक देगी। अँधेरे!

    उषा की पहली चमक से रंजित,

    टुकड़े-टुकड़े चीर दिए गए किसी पशु से निकाले फेफड़े की तरह

    तुम डोलते हो, तुम छलाँग लगाते हो।

    कितनी बार मैं तुम्हारे साथ तैरा था

    आधी रात को रोका गया,

    तुम्हारे भयभीत चर्म के ऊपर कोई आवाज़ सुनता हुआ,

    काले तीतर की चीख़, झाड़ी की खड़खड़ाहट तुम्हारे भीतर फैल रही थी

    और मेज़ पर दो सेब रोशनी दे रहे थे

    या खुली कैंची चमक रही थी—

    —और हम समान थे :

    सेब, कैंची, अँधेरा और मैं—

    नीचे उसी अचल,

    असीरियन, मिस्री और रोमन

    चंद्रमा के।

    झरते मुड़ते हैं, स्त्री-पुरुष मैथुन करते हैं,

    अधसोये बच्चे अपने हाथों से दीवारें महसूस करते हैं,

    थूक से गीली एक उँगली से वे अँधेरे देश खींचते हैं,

    रूप मुड़ते हैं जो अपराजित लगता था अलग गिरता है।

    लेकिन समुद्रतल से उभरते देशों के बीच,

    अँधेरी सड़कों के बीच, जिनकी जगह पर

    एक पतित ग्रह से बनाए गए पहाड़ उठेंगे,

    सब कुछ के विरुद्ध, जो कुछ भी होगा उसके विरुद्ध,

    यौवन अपने को बचाएगा, उसकी धूपीली धूल की तरह साफ़,

    अच्छे, बुरे को प्यार करने वाला,

    तुम्हारे विशाल पाँव के नीचे फैला हुआ,

    ताकि तुम उसे मसल सको, ताकि तुम उस पर चल सको,

    ताकि तुम अपनी साँस से पहिया चला सको,

    जिसकी गति से एक धुँधली इमारत काँपेगी,

    ताकि तुम उसे भूख दे सको और दूसरों को नमक, शराब और रोटी।

    कुछ भी मुझे तुमसे अलग नहीं करता।

    अगर मैं सैनिक हूँ, तुम हैल्मेट पर एक पंख हो,

    एक गोली, आग की एक गेंद, और जब कोई तुम्हें चलाता है

    तुम देते हो वह जिसका कि हर जीवित प्राणी पात्र है।

    अगर मैं किसान हूँ, तुम मेरे हाथों से नष्ट करने का काम करते हो

    उन घासों को जो परती ज़मीनों पर फैली हैं और तुम दलदल सुखाते हो

    जबकि कि फ़सलें उगें और प्यासे राष्ट्रों के लिए वोदका

    विनम्र गलों में से रिसती सूजी की तरह।

    उसके लिए जो सत्ता के सपने देखता है, तुम एक काले परदे की तरह

    अपने को नीचे फैला लेते हो, लोगों के मकानों को ढाँपते हुए।

    कुहरे में शासक अपने काँसे के पैर पटकता है

    और चिनगारियाँ निकलती हैं जैसे लोहे से

    और गायक-मंडली सांसद की प्रशंसा में दहाड़ती है

    प्रलय का मंडल हमें घेरेगा उससे पहले।

    अभी तक हॉर्न नहीं बजाया गया है

    घाटियों में बिखरे और पड़े हुओं को पुकारते हुए।

    आख़िरी गाड़ी का पहिया अभी जम गए कीचड़ पर धड़धड़ाता नहीं है।

    मेरे और तुम्हारे बीच कोई नहीं है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 108)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक अशोक वाजपेयी, रेनाता चेकाल्स्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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