दुनिया से अकेली लड़ती लड़की
एक लड़की अकेली है जैसे
पत्थरों के हज़ारों देवता और एक अकेला याचक
सैकड़ों सड़कें सुनसान, गाड़ियाँ, धुएँ और एक विशाल पेड़
हज़ारों मील सोया समुद्र और एक गुस्ताख़ कंकड़
इन सबसे बहत-बहुत अकेली है एक लड़की
मुकेश के हज़ार दर्द भरे गानों से भी ज़्यादा
उस लड़की से उनको बात करनी चाहिए
फ़िलहाल जो सेमिनारों में व्यस्त हैं
स्त्रीवादी संदर्भों की सारगर्भित व्याख्याओं में
आँचल, दूध, पानी की बोरिंग कहानियों में
उनको बात करनी चाहिए
जो ज़माने को दो गालियाँ देकर ठीक कर देते हैं
क्रांति की तमाम पौराणिक कथाओं में
ख़ुद को नायक फिट करते हुए
जो 'ब्रेक के बाद दुनिया बदल जाएगी'
इस सूत्र में भरोसा रखते हैं
उन्हें ब्रेक भर का समय देना चाहिए लड़की के लिए।
लड़की के पास इतना भर ही है समय
जिसमें ठहरकर ली जा सकती है
एक ग़ुस्से भरी साँस
और मौन को पहुँचाया जा सकता है
उस अकेली लड़की के पास
वह आपके-हमारे बीच की ही लड़की है
थोड़ा-थोड़ा घूरा था जिसे सबने
पीठ पीछे गिनाए थे उसके नाजायज़ रिश्ते
मजबूरन जिसे करनी पड़ी थी आत्महत्या
आपकी दुआओं से बची हुई है आज भी
एक लड़की एफ़आईआर से लड़ रही है
एफ़आईआर से लड़ते-लड़ते
अचानक वह दुनिया से लड़ने लगी है
दुनिया उसे हरा देगी देखना
जो उसके ख़िलाफ़ गवाही देंगे
उसमें भी कई लड़कियाँ हैं
जो आज मजबूर हैं
कल अकेली पड़ जाएँगी...
- रचनाकार : निखिल आनंद गिरि
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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