Font by Mehr Nastaliq Web

स्त्रीकेँ नहि अप्पन कियो

striken nahi appan kiyo

कामिनी

अन्य

अन्य

कामिनी

स्त्रीकेँ नहि अप्पन कियो

कामिनी

और अधिककामिनी

    गोइठाक आगिपर

    जेना धीरे-धीरे पकैत अछि

    तसलामे खदबदाइत चाउर

    तहिना मोनमे पाकि रहल अछि

    एकटा विचार/एकटा भाव

    एकटा प्रेम/एकटा उपेक्षा

    साँस तऽ चलैत अछि

    मुदा देह अछि स्थिर

    पोखरिक पानि जकाँ

    धीर-गम्भीर

    सिनेमाक दृश्य जकाँ

    अतीत

    अबैत अछि/जाइत अछि

    एकटा घर

    जे अपन छल

    नितान्त अपन/जे सम्पूर्ण रूपें

    अपनौने छल

    मान सम्मानक संग

    अपन बनौने छल

    भरल-पुरल परिवार

    नमहर-चौरगर अंगना

    चौघारा घर/सभ समय/सभ ऋतुक अनुरूप

    अंगनाक एक कात

    शीतल जलसँ सींचित

    तुलसीक चौरा

    दोसर दिस पैघ बखारी

    ओहिमे भरल

    ननहियाँ, जसवा रामदुलारी धान

    अंगनाक कोनटामे

    पैघ कनैल गाछ

    ओहि पर पीयर-पीयर फूल

    अंगनेसँ सटल खरिहान

    ओहि बीचमे गड़ल मेह

    मेहक ऊपर बान्हल

    धानक शीश

    बैरक काँट संग

    खरिहान गेंटल/बोझक-बोझ धान

    ओहि बोझसँ धान सोहि-सोहि खाइत

    चिड़ै-चुनमुनी

    एकहि गरदनिमे बान्हल

    दाऊनक बहुत रास बरद

    ओहि बरदकेँ नांगरि पकड़ि

    अ-अ करैत/आगू हँकैत बाबू

    मोनक मोन धानकेँ

    सूपसँ ओसबैत काका

    टालक टाल नारकेँ

    पीरहीसँ सरियबैत जोन

    खल-खल हँसैत छली लक्ष्मी

    खल-खल हँसैत छल घर

    बारह बरसक बाद

    जन्म लेलक बौआ

    जन्म लेलौं हम

    पाथर पर दुभि जकाँ

    होइत छल दुलार

    बेर-बेर छातीसँ सटा

    माय-करय लगैत छली दुलार

    बड़ स्नेहसँ

    हँसोथऽ लगैत छली माथा

    बाबू बड़ अनुरागसँ

    कहैत छलाह बतहिया

    टोलो परोसक लोक

    कहय लागल बतहिया

    बतहिया किछु नहि बुझय

    कोना चलतै एकर जीवन

    कोना रखतै एकरा घरवला

    चिन्ता होइत छलनि बाबूकेँ

    चिन्ता होइत छलै मायकेँ

    मुदा निश्चिन्त छलौं हम

    अपना संगी सहेलीक संग खेलैत

    अपना भाइक संग

    ककहरा पढ़ैत

    गामक एहि गलीसँ ओहि गली

    एहि अंगनासँ ओहि अंगना

    भविष्यक कोनो चिन्ता नहि

    वर्तमानसँ कोनो अपेक्षा नहि

    सबदिन होली

    सब राति दिवाली

    एहि सबहक बीच

    कहिया माइक नजरिमे

    सियान भऽ गेलौं

    कहिया हमरा अपना घर पठबैक लेल

    बाबू चिन्तातुर भऽ उठलाह

    पते नहि चलल

    पता चलल तहिया

    जहिया सब किछु छिना गेल

    सब किछु हेरा गेल

    गाम बदलि गेल/घर बदलि गेल

    लोको बदलि गेल

    माइक स्थान लऽ लेली सासु

    भाइक स्थान लऽ लेला पति

    ससुर खुरपीक मुठ जकाँ

    दुनूक ऊपर चढ़ल छलाह

    हाथ भरिक घोघ उठा देखलौं कोबर

    अपन घर कतौसँ नै बुझना गेल

    नहि देखायल ओहिमे

    अपन बचपन

    खरहीक टाटसँ घेरल ओहि अंगनामे

    कतौ अपन पदचिह्न नहि देखलौं

    गामक गलीमे

    अपन संगी सहेली नहि देखा पड़लीह

    नहि देखा पड़ल/सासुक नजरिमे

    माइक ममता

    पतिक स्वभाव/भाइसँ भिन्न छल

    अहंकारसँ परिपूर्ण छल

    एकाएक बहुत सियान भऽ गेलौं

    सबहक खातिर/सबहक लेल

    सुख-सुविधा/आदर-सम्मान

    दै वाली मशीन

    जकर रुकनाइ/जकर टुटनाइ

    बर्दाश्तसँ बाहर रहल

    सबहक लेल

    स्कूली शिक्षा/कॉलेजक ज्ञान

    बासि रोटी जकाँ/बेस्वाद भऽ गेल

    अपन मान-सम्मान

    दिवार लागल किताब जकाँ

    फाटिकेँ तार भऽ गेल

    आब यैह अछि हमर गाम

    आब यैह अछि हमर पहचान

    फल्लांक पुतोहु/फल्लांक बहु

    फल्लांक माय कहाइत छी

    सम्बन्धक तराजू पर

    आना-आनाक भावे बिकाइत छी

    जहिया जाइत छी/कहियो

    अपन गाम

    बाबू पराया बुझि नजरि फेरैत छथि

    माय डेढ़ दिनका मेहमान कहि

    बेर-बेर मोन पाड़ैत छथि

    हम एहि घरक नहि छी

    घर हमर नहि अछि

    भाइक दुनियामे/नहि अछि/हमर

    कतौ स्थान

    नहि सुनाइ पड़ैत अछि

    ककरो मुँहसँ/अपन नाम

    बिनु बजाओल पाहुन जकाँ

    एहि घरसँ ओहि घर करैत छी

    अपनहि आँचरसँ

    अपनहिं आँखिक नोर पोछैत छी

    टोल परोसक काकी, भौजी

    धिपायल लोहा जकाँ

    दागि दैत छथि सवाल

    दाइ कते दिन रहबै?

    मोन अपरतीत भऽ जाइए

    मोन कोनादन करैए

    अपने गामक लेल आन भऽ गेलौं

    अपने घरक लेल अनजान भऽ गेलौं

    कहियो एहि जगह पर बैसि

    देखने रही/जीवनक मादे सपना

    सुन्दर सपना/अपन सपना

    अपन अस्तित्व अपन पहचानक सपना

    आइ जालमे फसल माछ जकाँ

    सपना पराधीन अछि/परतंत्र अछि

    लाख छटपटाऊ/नहि निकलि पबैत छी

    नहि तोड़ि पबैत छी/एहि रेशमी तारकेँ

    हथौड़ाक चोट जकाँ/छाती पर पड़ैत अछि

    कुभावनाक प्रहार

    पघिलल शीशा जकाँ कानमे पड़ैत अछि

    हमर गाम/ई हमर घर

    हमर जमीन/ई हमर जायदाद

    बेर-बेर दिमागमे घुमय लगैत अछि

    एके सवाल

    की बेटीक कोनो

    अपन गाम नहि होइत छैक

    अपन घर नहि होइत छैक

    पिता-पतिसँ अलग

    अपन कोनो

    पहचान नहि होइत छैक

    स्रोत :
    • पुस्तक : परती परहक फूल (पृष्ठ 10)
    • रचनाकार : कामिनी
    • प्रकाशन : शेखर प्रकाशन
    • संस्करण : 2013

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY