पानियों में छींटे उड़ाती हुई लड़की
paniyon mein chhinte uDati hui laDki
प्रमिला शंकर
Pramila Shankar
पानियों में छींटे उड़ाती हुई लड़की
paniyon mein chhinte uDati hui laDki
Pramila Shankar
प्रमिला शंकर
और अधिकप्रमिला शंकर
वो लड़की
पानियों में छींटे उड़ाती
बीती हुई स्मृतियों को
फिर से पास बुलाती
जैसे
किसी बिसरे हुए प्रेमी को
या अधूरी छूट गई
हँसी को
पैरों से रचती है वो
सरिता में संगीत,
उँगलियों से
लिखती है लहरों पर
गीत!
गीत, जो सिर्फ़ पानी
पढ़ता है
वो हँसती है
निडर,
पानी में गिरती धूप को
बचाकर
अपनी हथेलियों में
पकड़ती है
उसके चारों ओर
छींटों की एक दुनिया
बनती जाती है—
गोल-गोल वृत्त में
हर एक में वो अपना
अलग
आकाश चुनती है
वो लड़की जानती है—
जल जो कभी सूख
जाएगा उसकी देह से
वो क्षण...
वो क्षण हमेशा के लिए
खो जाएगा
आँख की कोर से
फिसली गीली हँसी को
संभालती है
वो लड़की वापस लौटेगी,
नदी की ओर
सम्हालेगी—
छींटों को,
सूखने नहीं देगी
नदी की भाषा को
लिखेगी वो अनसुना
गीत जो सिर्फ़
पानी पढ़ता है।
- रचनाकार : प्रमिला शंकर
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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