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सिरका पियार लागै

sirka piyar lagai

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

सिरका पियार लागै

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

और अधिकजगजीवन मिश्र ‘जीवन’

    हमका बिटिया बिन सूनो घर दुआर लागै

    लिहे जाएउ वहिका सिरका पियार लागै

    भइया थोरी दाँलि बँधी है थोरी राब मिठाई

    धान औरु सरसौं बाँधी हैं बाँधी तनिक मकाई

    चना उद्द मसुरी है थोरी जोंधरी का आँटा

    यहि कन्टर मा भइया थ्वारा फेरा फेरावा माठा

    कदुआ बाँधी कइसे कुछु छोटबार लागै

    लिहे जाएउ वहिका सिरका पियार लागै

    झ्वारा महियाँ धोती है छुटकुइया बदि चोटिया

    औरु बँधी है लरिकउना की मूलन वाली लोटिया

    खटुआ वाली कली खटाई पीसइ वाली चटनी

    कहि दीन्हेंउ पुटुकुरिया महियाँ माटी है मुड़मिसनी

    चले आएउ जब बेरिया मा ब्यार लागै

    लिहे जाएउ वहिका सिरका पियार लागै

    दिनु राति यहइ सोंचिति हन कब बिटिया घर अइहै

    एतनी दूरि अकेले घर मा कइसे रहतइ हुइै

    वहिके खइबे की चिन्ता मा जियइ भरे का खाई

    आँसू आवइँ जबइ अकेले ग्वाबरु पाथइ जाई

    बिटिया आवइ तौ घर त्योहार लागै

    लिहे जाएउ वहिका सिरका पियार लागै

    कहिति रहन ईस्वर से तुम बिटिया हमका ना दीन्हेंउ

    देहेउ अगर तौ वहिका तुम दोसरेक घर की ना कीन्हेंउ

    दोसरेक घर की गर कीन्हेंउ तौ कष्ट वहिका दीन्हेंउ

    कष्ट अगर वहिके होवइँ तौ तुम हमका दइ दीन्हेंउ

    वहिके दुःख देखि जीबो बेकार लागै

    लिहे जाएउ वहिका सिरका पियार लागै

    स्रोत :
    • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 2)
    • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
    • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
    • संस्करण : 2015

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