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सांध्य तारा

sandhya tara

अनुवाद : सरिता शर्मा

एडगर एलन पो

अन्य

अन्य

एडगर एलन पो

सांध्य तारा

एडगर एलन पो

और अधिकएडगर एलन पो

    गर्मियों की दोपहर थी,

    और आधी रात का समय;

    और तारे अपनी कक्षाओं में,

    चमकते थे पीले से

    उज्जवल, शीतल चाँद की चाँदनी में,

    जो था अपने दास ग्रहों के बीच,

    स्वयं आकाश में,

    लहरों पर थी उसकी किरणें।

    मैंने ताका कुछ पल

    उसकी सर्द मुस्कान को;

    उदासीन, बहुत ही भावहीन लगी मुझे

    उधर से गुज़रा कफ़न जैसा

    एक लोमश बादल,

    और मैं मुड़ा तुम्हारी ओर,

    गर्वीले सांध्य तारे,

    तुम्हारी सुदूर महिमा में

    और तुम्हारी किरणें ज़्यादा प्रिय होंगी;

    क्योंकि मेरे दिल की ख़ुशी

    गर्वीला हिस्सा है तुम जिसे

    रात को आकाश में वहन करते हो,

    मैं और भी सराहता

    तुम्हारी दूरस्थ आग को,

    उस ठंडी अधम चाँदनी से बढ़कर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 17)
    • रचनाकार : एडगर एलन पो
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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