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सामान्य व्यवहार

samanya vyvahar

अनस ख़ान

अनस ख़ान

सामान्य व्यवहार

अनस ख़ान

और अधिकअनस ख़ान

    यहाँ दिनों-दिन सब इतना असामान्य है

    कि अब वही सामान्य है

    यहाँ दिनों-दिन कोई हलचल नहीं होती

    यहाँ दिनों-दिन कुछ नहीं दिखाई देता

    यहाँ सब अक्सर अराजनीतिक होते हैं

    यहाँ दिनों-दिन ख़ामोशी फैली रहती है

    फिर एक दिन किसी राष्ट्रीय गौरव पर

    गड़गड़ाकर बजती हैं तालियाँ

    जैसे कि जहाँ अन्याय होता है

    वह कोई दूसरा मुल्क हो

    जहाँ कोई उपलब्धि होती है

    वह कोई दूसरा देश हो

    इस देश के गौरव में सभी का साझा है

    इस देश की शर्म में किसी की शर्म नहीं है

    इस देश की चुप्पियाँ

    अब बस बधाइयों में टूटती हैं

    चुप्पी और बधाई—

    यही अब इस देश का

    सामान्य व्यवहार है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनस ख़ान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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