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चिंतन एक कुमारी का

chintan ek kumari ka

मिखाइल इसाकोव्स्की

अन्य

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मिखाइल इसाकोव्स्की

चिंतन एक कुमारी का

मिखाइल इसाकोव्स्की

और अधिकमिखाइल इसाकोव्स्की

    वान्या के घर पर टिन की छत है

    बढ़िया चमड़े के उस पर जूते हैं

    प्यार करूँ मैं क्यों मीशा को

    जो ग़रीब मज़दूर खेत का

    चिंता मारा

    लेकिन हृदय जानता मीशा सज्जन

    मेरी सुंदरता का

    नहीं कभी अपमान करेगा

    किंतु वान्या पर बीरसाती जूते भी हैं

    और शहर से लाई गई घड़ी है

    अगर हमारे पास एक घर

    और खेत हो जाए

    तब तो मेरा मीशा का जोड़ा सुंदर है

    लेकिन वान्या पर दो समोवार हैं

    बहुत दूध देने वाली गायें कितनी ही

    देखो जिधर उधर ही उस पर

    सब कुछ ज़्यादा ही ज़्यादा है

    लेकिन मीशा का धन तो हैं सिर्फ़ किताबें

    उनमें भी तस्वीर नहीं हैं

    और सगे संबंधी जो हैं

    सभी फटीचर

    लेकिन वान्या

    सात खेत का मालिक भी है

    और कुटुंबी केवल चार जने हैं

    बग़िया उसकी

    चैरी-सेबों से लदी पड़ी है

    जब भी देखो बटुआ उसका भरा हुआ है

    प्यार करूँ मैं क्यों मीशा को

    जिसके हाथ नहीं है कुछ भी

    इस दुविधा से

    मुक्त किया उसने अपने को

    और तनिक गहराई से फिर सोचा—

    कैसे सुख से

    सबसे अच्छी क़िस्मत बनती

    इन दोनों में किसको वरण चाहिए करना

    लड़की का दिल सच्चाई को सुन लेता है

    देने पर आवाज़

    लाल पोस्त-सा खिल उठता है

    जिसको मेरा प्यार समर्पित

    तुम हो मीशा

    इसके पीछे नहीं रहा है कोई कारण।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 145)
    • रचनाकार : मिखाइल इसाकोव्स्की
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975

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