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रोज़मर्रा के उबाऊ सरल कामों में लगा नम्र जीवन

rozmarra ke ubau saral kamon mein laga namr jivan

अनुवाद : मदन पाल सिंह

पॉल वेरलेन

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पॉल वेरलेन

रोज़मर्रा के उबाऊ सरल कामों में लगा नम्र जीवन

पॉल वेरलेन

और अधिकपॉल वेरलेन

    रोज़मर्रा के उबाऊ सरल कामों में लगा नम्र जीवन

    अपना स्वयं के चुनाव का कार्य है जिसे बहुत प्रेम चाहिए,

    त्रस्त दिन के बाद ख़ुशमिज़ाज रहना,

    मज़बूत होकर, विकट-छुद्र हालातों में भी रहना प्रफुल्लित,

    ध्यान दो और सुनो बड़े शहरों के कोलाहल को

    सिर्फ़ पुकार सुनो, हे मेरे प्रभु! मीनार से आती घंटी की आवाज़ों की

    और इस शोर में स्वयं एक आवाज़ करना

    बचकानी कोशिश के भ्रष्ट परितोष का परिणाम है,

    पातकियों के घर में करना शयन करते हुए पश्चाताप!

    केवल शांति चाह कर भी बात गढ़ते रहना

    और धैर्य की विकट परीक्षा में बढ़ते जाना समय का छोर

    जीवन की सरल बातों पर इतनी हाय-तौबा, तंगदिली और पश्चाताप!

    और ये सारे सेवाभाव-परवाह

    दरिद्र धर्म तथा छद्म नैतिकता की सेवा में तत्पर हैं!

    मेरे इष्टदेव ने कहा—‘‘छी, अरे यह तो घमंड का तुच्छ व्यापार है!’’

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : पॉल वेरलेन

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