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क़वायद

qawayad

डॉ. अजित

अन्य

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डॉ. अजित

क़वायद

डॉ. अजित

और अधिकडॉ. अजित

    मुझे भूलने की कोशिश में

    पहले उसने संपर्क कम किया

    फिर ख़ुद को मज़बूत किया

    और बाद में खींच दी एक रेखा

    जिसके आर-पार

    नहीं देख सकते थे हम

    एक दूसरे की शक्ल

    संबंधों की कर्क रेखा पर

    कोई बाड़ ऐसी थी

    जिससे रोका जा सकता हो

    यादों की पुरवाई को

    बस यही एकमात्र

    तकलीफ़देह बात थी

    मुझे भूलना उसने

    एक चुनौती की तरह लिया

    और भूल गई ज़िद करके

    वो ज़िद की इतनी पक्की है

    नहीं करेगी कभी याद भूलकर भी

    ये बात पता है मुझे

    मैं याद करता हूँ उसे तो

    इतनी अच्छी बातें याद आती हैं

    उदासी में भी मुस्कुरा पड़ता हूँ

    तल्ख़ियाँ सब लगने लगती है हास्यास्पद

    वो मुझे भूल गई है

    हमेशा के लिए

    ऐसा भी नहीं है

    हमेशा के लिए कोई

    किसी को नहीं भूल पाता है

    बस आजकल वो याद नहीं करती मुझे

    जब याद आती है मुझे

    उसके भूलने को कर लेता हूँ याद

    फिर भूल जाता हूँ

    ख़ुद का वजूद

    फिर उसकी याद आती है

    ख़ुद की

    भूलना अतीत का बुद्धिवादी अनुवाद है

    जिसका कभी पाठ नहीं होता है

    जिल्द चढ़ाकर रख दिया जाता है जिसे

    रिश्तों के अजायबघर में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : डॉ. अजित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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